China Pakistan Bangladesh Relations: चीन ने गुरुवार (19 जून, 2025) को इतिहास में पहली बार पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक की मेजबानी की. यह बैठक युन्नान प्रांत के कुनमिंग शहर में आयोजित की गई और इसे क्षेत्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है.

विशेषज्ञों के अनुसार, यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में अस्थिरता देखी जा रही है. इसी कारण यह पहल भारत की दृष्टि से रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इस बैठक में चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग, बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सचिव रूहुल आलम सिद्दीकी, पाकिस्तान के एशिया-प्रशांत विभाग के अतिरिक्त सचिव इमरान अहमद सिद्दीकी और पाकिस्तान की विदेश सचिव अमना बलोच शामिल हुए.

चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच क्या हुई बात?

चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हाल ही में हुई पहली त्रिपक्षीय बैठक में तीनों देशों ने व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा, समुद्री सहयोग और क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने पर सहमति जताई है. चीन के विदेश मंत्रालय के अनुसार, बैठक में यह भी तय किया गया कि इन सहमतियों को लागू करने के लिए एक विशेष कार्यसमूह (वर्किंग ग्रुप) बनाया जाएगा.

चीन ने इसे बढ़ावा देने वाली पहल बताया है और यह भी स्पष्ट किया कि यह सहयोग किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है. हालांकि, भारत की नजर में यह घटनाक्रम चिंताजनक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. भारत को खासतौर पर पाकिस्तान और बांग्लादेश के बदलते रिश्तों पर चिंता है. प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध ठंडे रहे, लेकिन अगस्त 2023 के बाद से जब बांग्लादेश में अंतरिम सरकार आई, तब से पाकिस्तान ने रक्षा, व्यापार और कूटनीति के स्तर पर संबंधों को तेजी से सुधारना शुरू किया है.

यह भी माना जा रहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और सेना ने शेख हसीना की सत्ता से विदाई में पर्दे के पीछे अहम भूमिका निभाई. इसी घटनाक्रम के बाद चीन, जो पहले थोड़ी दूरी बनाए हुए था, अब अंतरिम सरकार के साथ आर्थिक साझेदारी के जरिए फिर से सक्रिय हो गया है.

क्यों बढ़ी भारत की चिंता?

चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश का यह त्रिपक्षीय सहयोग भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति और क्षेत्र में उसके प्रभाव के लिए एक सीधी चुनौती माना जा रहा है. खासकर तब जब पाकिस्तान ने नवंबर 2023 से अब तक चटगांव बंदरगाह से दो जहाज भेजे हैं, जिसे भारत की बंगाल की खाड़ी में उपस्थिति को कमजोर करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. बांग्लादेश भारत के लिए सिर्फ एक पड़ोसी नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर भारत के लिए एक महत्वपूर्ण जीवनरेखा रहा है. इसलिए इन घटनाक्रमों को भारत की रणनीतिक दृष्टि से गंभीर चिंता का विषय माना जा रहा है.

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