हर व्यक्ति दिन-रात मेहनत कर अपने सपनों का घर बनाता है ताकि वह खुशी-खुशी उसमें अपनी जिंदगी बिता सके। लेकिन उनकी जिंदगी कभी-कभार बहुत ही कलेश से भरी गुजरती रहती है, इसमें एक बड़ा कारण वास्तु दोष भी होता है, जिसे हम घर बनवाते समय या खरीदते समय दरकिनार देते हैं और मार्डन जमाने का हवाला देते हैं। लेकिन वास्ते हमारे जीवन में बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है। ऐसे में आज हम जानेंगे की पश्चिम दिशा में किचन का होना शुभ होता है या अशुभ…

पश्चिम दिशा में किचन का होना शुभ या अशुभ?

वास्तु शास्त्र की मानें तो रसोईघर आग्नेय कोण (दक्षिण पूर्व दिशा) में होना शुभ होता है क्यों आग्नेय कोण की दिशा का स्वामी शुक्र ग्रह है। शुक्र ही सुख और समृद्धि देता है। किचन अगर आग्नेय कोण में नहीं है तो पूर्व में चलेगा। ऐसे में अगर आपका किचन पश्चिम दिशा में है तो यह अशुभ है और इससे आपके घर-परिवार में गंभीर बीमारी देखने को मिलती रहेगी। इससे गृह कलह, परेशानी और दुर्घटना होने का योग बनता रहता है। ऐसे में पश्चिम दिशा में रसोई का होना शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि किचन अग्नि तत्व का प्रतीक है।

इसके अलावा, नैऋत्य कोण यानी दक्षिण पश्चिम भी किचन के लिए आदर्श नहीं माना जाता है।

क्या करें उपाय

  • किचन के ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा में सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगा दें।
  • चूल्हे को हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके रखें, जिससे खाना बनाते समय पॉजीटिव एनर्जी बनी रहे।
  • साथ ही सिंक को हमेशा उत्तर-पश्चिम दिशा में बनवाए रखें।
  • रसोईघर का द्वार घर के मुख्य दरवाजे के सामने नहीं होनी चाहिए, यदि ऐसा है तो द्वार के सामने एक पर्दा लगा दें।

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